Mutual Funds : म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक कई बार यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें एक्टिव म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए या पैसिव म्यूचुअल फंड में। दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं तथा दोनों के अपने-अपने फायदे तथा नुकसान होते हैं। आज हम आपको इन दोनों के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।
Mutual Funds : म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही है क्योंकि यह निवेशकों को ना सिर्फ लंबी अवधि में एक बड़ा फंड बनाने में मदद करता है बल्कि शेयर बाजार के हर दिन के उतार-चढ़ाव से होने वाले तनाव से भी दूर रखता है।
लेकिन कई बार निवेशकों को यह समझ नहीं आता कि किस तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही रहेगा क्योंकि म्यूचुअल फंड के भी दो प्रकार होते हैं। एक होता है एक्टिव म्यूचुअल फंड तथा दूसरा होता है पैसिव म्यूचुअल फंड।
अब ऐसे में निवेशक इस बात का चुनाव कैसे करें कि उन्हें किस तरह के म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करना चाहिए क्योंकि दोनों में कौन बेहतर विकल्प है इसका कोई सीधा जवाब नहीं है। देखा जाए तो दोनों ही प्रकार के अपने-अपने फायदे तथा नुकसान हैं और कोई किसी में निवेश कर सकता है।
आज हम आपको इन दोनों प्रकार के म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी देने वाले हैं ताकि आप यह बेहतर तरीके से समझ सकें कि आपके लिए किस तरह का म्यूचुअल फंड सही रहेगा और आप अपने लिए अपने हिसाब से सही म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकें।
क्या होते हैं एक्टिव म्यूचुअल फंड्स?
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि इस तरह के म्यूचुअल फंड्स में फंड मैनेजर का रोल काफी अहम होता है क्योंकि वे इसे एक्टिवली मैनेज कर रहे होते हैं। वे लगातार रिसर्च तथा एनालिसिस करके इस बात का निर्णय लेते हैं कि किस सेक्टर या थीम के शेयर को खरीदना है और किसे नहीं।
इसके साथ ही इस तरह के फंड्स शेयर बाजार से मिलने वाले औसत रिटर्न से भी ज्यादा रिटर्न देने पर ध्यान देते हैं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि इन फंड्स की फीस तथा इनके एक्सपेंस रेशियो पैसिव म्यूचुअल फंड्स से थोड़े अधिक ही देखने को मिलते हैं।
फायदे की बात करें तो इस तरह के फंड्स शेयर बाजार से मिलने वाले औसत रिटर्न को भी पीछे छोड़ सकते हैं तथा इनमें काफी अधिक लचीलापन होता है जिस वजह से इन फंड्स को मैनेज करने वाले फंड मैनेजर्स अपने हिसाब से स्टॉक का चुनाव कर सकते हैं।
वहीं, नुकसान की बात करें तो इनकी फीस तथा इनका एक्सपेंस रेशियो पैसिव म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले काफी अधिक होता है। साथ ही एक्टिवली मैनेज किए जाने के बावजूद भी कुछ एक्टिव म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन शेयर बाजार के प्रदर्शन को पीछे नहीं छोड़ पाते।
क्या होते हैं पैसिव म्यूचुअल फंड्स?
वहीं, दूसरी ओर पैसिव म्यूचुअल फंड्स की बात करें तो यह उस तरह के फंड्स होते हैं जो किसी खास इंडेक्स को ही फॉलो करते हैं। यही कारण है कि इस तरह के फंड्स में फंड मैनेजर की भूमिका एक्टिव म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले काफी कम होता है। यह फंड्स अपने बेंचमार्क इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं तथा इनमें स्टॉक्स भी इंडेक्स के हिसाब से ही होता है।
पैसिव म्यूचुअल फंड्स के फायदे की ओर नजर डालें तो एक्टिव म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले इनकी फीस तथा एक्सपेंस रेशियो काफी कम होती है तथा इनमें निवेश करने से निवेशकों को शेयर बाजार से मिलने वाले औसत रिटर्न के बराबर ही रिटर्न मिलता है।
वहीं, इनके नुकसान की बात करें तो ये शेयर बाजार से मिलने वाले औसत रिटर्न को पीछे नहीं छोड़ पाते तथा शेयर बाजार में गिरावट आने से इनके रिटर्न में भी गिरावट देखने को मिलती है। पैसिव म्यूचुअल फंड्स को ही इंडेक्स फंड्स या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स भी कहा जाता है।
तो किसमें निवेश करना रहेगा सही?
इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है तथा कोई किसी में निवेश कर सकता है। दोनों ही तरह के म्यूचुअल फंड्स में आपको ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जिन्होंने निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दिया है या उन्हें बढ़िया रिटर्न नहीं दिया है। इसी लिए किसी भी म्यूचुअल फंड को चुनते समय यह न देखें कि वह एक्टिव म्यूचुअल फंड है या पैसिव म्यूचुअल फंड है। बल्कि इसके अलावा भी कई तरह के आधार होते हैं जिसके हिसाब से आपको अपने लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करना चाहिए।
उम्मीद है म्यूचुअल फंड से जुड़ी यह एक और जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी और इससे भविष्य में आप एक समझदार तथा जानकार निवेशक बन पाएंगे और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए एक बेहतर म्यूचुअल फंड चुनकर उसमें बेहतर तरीके से निवेश कर पाएंगे।
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