Mutual Fund : कई बार लोग म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय उस फंड ने अभी तक कितना रिटर्न दिया है उसको देखकर ही उसमें निवेश करने की योजना बना लेते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। लंबी अवधि में अपने लिए म्यूचुअल फंड को चुनते समय उसके पिछले रिटर्न को ना देखकर इन बातों को देखना चाहिए।
Mutual Fund : आज के समय में लगभग हर कोई म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहा है फिर चाहे वो एसआईपी (SIP) के माध्यम से हो या फिर लंप-सम तरीके से।
लेकिन कई बार लोग लंबी अवधि में अपने लिए म्यूचुअल फंड को चुनते समय इस बात पर ध्यान देने लग जाते हैं कि किस फंड ने अभी तक कितना रिटर्न दिया है और फिर उसी को देखकर उसमें निवेश करने की योजना बना लेते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए।
यह किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सही तरीका नहीं होता क्योंकि यह सिर्फ उन निवेशकों के लिए फायदेमंद होता है जिन्होंने उस रिटर्न के मिलने से पहले उस म्यूचुअल फंड में निवेश किया है।
अन्य निवेशकों के लिए यह रिटर्न मात्र एक इंडीकेटर के समान है और भविष्य में ऐसी रिटर्न मिलने की कोई गारंटी नहीं है। उस फंड ने अभी तक जैसा भी रिटर्न दिया है उसे देखकर यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि उस फंड का प्रदर्शन बाजार की बढ़त तथा गिरावट में कैसा रहा है।
इसके अलावा बाजार की गिरावट के बाद उस फंड ने कितनी जल्दी रिकवर दिखाई है क्योंकि कुछ फंड बाजार की गिरावट के बाद रिकवर होने में समय लगा देते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी फंड होते हैं जिनमें गिरावट के बाद रिकवरी काफ़ी तेजी से होती है।
ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि अगर लंबी अवधि के लिए अपने लिए म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय पिछले रिटर्न को नहीं देखना चाहिए तो किन बातों तो देखना चाहिए। आइए जानते हैं-
पिछले रिटर्न को ना देखते हुए इन बातों को देखना चाहिए!
लंबी अवधि में अपने लिए किसी भी म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय उस फंड ने अभी तक जो भी रिटर्न दिया है उसके फिर से मिल जाने की उम्मीद लगाने की बजाय इन बातों को देखना चाहिए।
1. अपने म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन की तुलना दूसरे म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन के साथ करें
आपने अपने लिए जिस भी म्यूचुअल फंड को चुना है उस म्यूचुअल फंड की लंबी तथा मध्यम अवधि के प्रदर्शन की तुलना उसी कैटेगरी के किसी अन्य म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन के साथ जरूर करें।
शॉर्ट टर्म में उस म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है यह उतना अधिक फायदेमंद नहीं होता। ऐसा आम तौर पर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के लिए होता है और वह भी एक साल से कम समय की अवधि के लिए।
2. ऐसे फंड को चुनें जो समय लगातार रिटर्न दे सके
कोई भी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में तभी बढ़िया रिटर्न दे सकता है जब वह बाजार की बढ़त में ज्यादा बढ़े और बाजार की गिरावट में कम गिरे। अगर किस फंड का प्रदर्शन इस तरह से नहीं रहता तो वह अपने निवेशकों को निराशाजनक रिटर्न देगा।
3. फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को भी देखें
किसी भी म्यूचुअल फंड को किसी न किसी फंड मैनेजर के द्वारा ही मैनेज किया जाता है और फंड मैनेजमेंट के मामले में निरंतरता बहुत ही महत्वपूर्ण हो होता है।
यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि उस फंड को जिस भी फंड मैनेजर ने अभी तक मैनेज किया है क्या आगे भी उस फंड को वही फंड मैनेजर ही मैनेज करने वाला है या नहीं क्योंकि अगर उस फंड मैनेजर ने उस फंड को छोड़ दिया तो यह एक निगेटिव प्वाइंट की तरह ही माना जाएगा।
वैसे तो यह सभी कारक अपने लिए म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय महत्वपूर्ण हो जाते हैं। लेकिन इन सब के अलावा किसी भी निवेशक के निवेश करने के तरीके का भी लंबी अवधि में उसके रिटर्न पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे कि अपने निवेश करने के तरीके को कभी ना बदलना, बाजार की गिरावट में टेंशन ना लेना तथा बाजार की गिरावट में भी लगातार निवेश करते रहना।
इन सभी बातों का ध्यान रख कर आप अपने लिए अपने हिसाब से एक बढ़िया म्यूचुअल फंड को चुन सकते हैं और उससे मिलने वाले रिटर्न को और भी बेहतर बना सकते हैं।
उम्मीद है म्यूचुअल फंड से जुड़ी यह एक और जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी और इससे भविष्य में आप एक समझदार तथा जानकार निवेशक बन पाएंगे और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए एक बेहतर म्यूचुअल फंड चुनकर उसमें बेहतर तरीके से निवेश कर पाएंगे।
डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है तथा यह किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सलाह नहीं देता। इस आर्टिकल के माध्यम से फाइनेंशियल वर्ल्ड ऑनलाइन वेबसाईट आपको किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सलाह नहीं देता। फाइनेंशियल वर्ल्ड ऑनलाइन वेबसाईट आपको किसी भी तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श लेने की सलाह देता है। म्यूचुअल फंड में किसी भी तरह के नुकसान के लिए फाइनेंशियल वर्ल्ड ऑनलाइन वेबसाईट या इसके लेखक किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं होंगे।