Types of Mutual Fund SIP : एसआईपी के माध्यम से निवेश कर रहे निवेशकों को शायद यही लगता है की एसआईपी सिर्फ एक या दो तरह की ही होती है। लेकिन ऐसा नहीं है और एसआईपी कुल 5 तरह की होती है तथा हर एक की अपनी-अपनी खासियत होती है जिनके बारे में निवेशकों को जानकारी होनी चाहिए।
Types of Mutual Fund SIP : एसआईपी के माध्यम से निवेश करना आज के समय में लगभग हर किसी की आदत बन चुकी है। चाहे कोई भी हो हर कोई अपने-अपने हिसाब से इसमें निवेश कर ही रहा है।
यही कारण है कि 11 नवंबर को एएमएफआई (AMFI) के द्वारा जारी किए गए डाटा के अनुसार अक्टूबर के महीने में एसआईपी के माध्यम से निवेश की गई राशि अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है।
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि एसआईपी (SIP) के माध्यम से निवेश करके कोई भी बिना शेयर बाजार के जानकारी लिए या उसमें बिना पूरी तरह से काम किए अपने लिए लंबी अवधि में एक अच्छा-खासा फंड तैयार कर सकता है।
लेकिन एसआईपी के माध्यम से निवेश करते वक्त निवेशकों को यह पता नहीं होता कि यह कितने तरह का होता है। उन्हें लगता है कि यह एक या दो तरह की ही होती है लेकिन ऐसा नहीं है। एसआईपी भी कुल 5 तरह की होती हैं तथा सभी अपने आप में खास होती हैं। आइए जानते हैं इन सभी के बारे में-
कुल 5 तरह की होती हैं एसआईपी!
एसआईपी भी कुल 5 तरह की होती हैं और हर किसी की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में-
1. रेगुलर एसआईपी
यह इस तरह की एसआईपी होती है जिसमें निवेशक हर महीने एक तय रकम को निवेश करते हैं। निवेशक चाहे तो हर महीने या हर तिमाही आधार पर यह हर छमाही आधार पर निवेश कर सकते हैं। यहां तक कि निवेशक चाहे तो एसआईपी करने की तारीख को भी खुद से चुन सकते हैं।
2. स्टेप-अप एसआईपी
यह एसआईपी निवेशकों को एक तय अवधि में एसआईपी को बढ़ाने की सुविधा देती है। निवेशक चाहे तो सालाना आधार पर अपनी एसआईपी की रकम को जितना प्रतिशत चाहे उतना बढ़ा सकते हैं जिससे निवेशकों के द्वारा निवेशित राशि अपने आप बढ़ते चला जाता है।
3. फ्लेक्सिबल एसआईपी
यह एसआईपी फ्लेक्सिबल तरीके का होता है जो निवेशकों को अपने एसआईपी में थोड़ा बदलाव करने की सुविधा देता है। निवेशक चाहे तो अपनी एसआईपी की राशि को अपने हिसाब से बढ़ा या घटा सकते हैं। लेकिन ऐसा करने के लिए निवेशकों को अपने फंड हाउस को एसआईपी कटने की तारीख से करीब एक हफ्ते पहले बताना होगा।
4. ट्रिगर एसआईपी
इस तरह की एसआईपी निवेशकों को समय, पैसे और वैल्यूएशन के आधार पर अपने एसआईपी को कब ट्रिगर करना है इस बात को तय करने की सुविधा देता है। इसके लिए निवेशक चाहे तो पहले ही कंडीशन लगा सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर निवेशक कीमत के आधार पर कंडीशन लगाना चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं कि जब तय राशि से अधिक हो जाए तो ट्रिगर एसआईपी शुरू हो जाए और जब वह तय राशि से कम हो जाए तो उनके अतिरिक्त पैसे एसआईपी में निवेश होना शुरू हो जाए। इसी तरह से निवेशक चाहे तो समय और वैल्यूएशन के आधार पर भी ट्रिगर एसआईपी को शुरू कर सकते हैं।
5. इंश्योरेंस के साथ एसआईपी
इस तरह की एसआईपी के बारे में आप शायद पहली बार सुन रहे होंगे लेकिन इस तरह की भी एसआईपी होती है। यह उस तरह की एसआईपी होती है जिसमें निवेशकों को टर्म इंश्योरेंस कवर भी मिलता है।
लेकिन यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अलग-अलग म्यूचुअल फंड हाउस में यह अलग-अलग तरीके की हो सकती है। यह सुविधा केवल इक्विटी म्यूचुअल फंड में ही मिलता है और इस पर कैंपिंग भी होती है। कुछ म्यूचुअल फंड हाउस पहली एसआईपी के अमाउंट का करीब 10 गुना तक का टर्म इंश्योरेंस कवर देते हैं जो बाद में बढ़ भी जाता है।
उम्मीद है म्यूचुअल फंड से जुड़ी यह एक और जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी और इससे भविष्य में आप एक समझदार तथा जानकार निवेशक बन पाएंगे और म्यूचुअल फंड में बेहतर तरीके से निवेश कर पाएंगे।
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